कभी लिखा नही कुछ पापा पर,
मेरे शब्द कम पड़ जाते हैं,
ज़ाहिर कुछ भी नही करते वो,
पर हमारे लिए सब कर जाते हैं।
जब भी हमसे गलती होती है,
कभी प्यार से तो कभी फटकार से समझाते है,
पर जब कुछ अच्छा करते हैं हम,
तो वो गर्व से सबको बताते हैं।
हाँ, जब वो गुस्सा करते हैं तो
थोड़े गब्बर सा बन जाते है,
पर जब खुश होते हैं हम पर,
तो कभी ज़ाहिर न कर पाते है,
घर पूरा आश्रित है उन पर,
वो अपने कंधे पर सारी जिम्मेदारी उठाते हैं,
हाँ, वो पापा हैं हमारे,
जो हमारे खुशियों के लिए सब कुछ कर जाते हैं।
ज़ाहिर कुछ भी नही करते वो,
पर हमारे लिए सब कर जाते हैं।
जब भी हमसे गलती होती है,
कभी प्यार से तो कभी फटकार से समझाते है,
पर जब कुछ अच्छा करते हैं हम,
तो वो गर्व से सबको बताते हैं।
हाँ, जब वो गुस्सा करते हैं तो
थोड़े गब्बर सा बन जाते है,
पर जब खुश होते हैं हम पर,
तो कभी ज़ाहिर न कर पाते है,
घर पूरा आश्रित है उन पर,
वो अपने कंधे पर सारी जिम्मेदारी उठाते हैं,
हाँ, वो पापा हैं हमारे,
जो हमारे खुशियों के लिए सब कुछ कर जाते हैं।
1 Comments
Well written😊
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